सत्यसाहित्य
अध्ययन-रूचि का अभाव शिक्षित व्यक्ति को नए ज्ञान से दूर ही रखता है। परिणामस्वरूप कहाँ, क्या हो रहा है; इसका किसी को पता ही नहीं चल पाता। नई जानकारियों और नई सूचनाओं से अनभिज्ञ रहने के कारण होने वाले क्षति को तो किसी प्रकार सहन भी किया जा सकता है, परंतु सत्यसाहित्य से संपर्क न होने के कारण व्यक्तित्व की जो हानि होती है, उसकी पूर्ति किसी भी प्रकार नहीं की जा सकती। ज्ञान वह आधार है, जिस पर मनुष्य की जड़ें जमती और गहरी उतरती है। उन्हें आगे बढ़ने से रोकने का अर्थ है, ऐसे अवरोध खड़े कर देना जो जड़ों को गहराई में न जाने दें।
Lack of interest in studies keeps the educated person away from new knowledge. Where, what is happening as a result; No one can even know about it. The loss due to being ignorant of new information and new information can be tolerated in any way, but the loss of personality due to lack of contact with the truth cannot be compensated in any way. Knowledge is the foundation on which the roots of man are rooted and deepened. Preventing them from growing means creating barriers that do not allow the roots to go deep.
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वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...