जीवन का शीर्ष
विवेकवान लोग अपने जीवन के प्रारंभ से ही सदा अपने जीवनलक्ष्य के प्रति सजग। जीवनलक्ष्य को पाने के लिए सदैव तत्पर व उस दिशा में शनैः-शनैः आगे बढ़ते ही रहते हैं। पेट, प्रजनन व परिवार की चहारदीवारी को तोड़ किसी सत्पुरुष के मार्गदर्शन में, धर्मपथ पर, योगपथ पर, अध्यात्म पथ पर चल पड़ते हैं और अंततः अपने दृढ़ संकल्प व प्रचंड पुरुषार्थ के बल जीवनलक्ष्य को को प्राप्त कर ही लेते हैं। यही है चेतना की शिखर यात्रा, जो धर्म से शुरू होकर मोक्ष तक पहुचँती है। यही है जीवन का शीर्ष, जीवन का परम लक्ष्य।
Prudent people from the very beginning of their life are always aware of their goal of life. Always ready to achieve the goal of life and keep moving forward slowly in that direction. Breaking the walls of the stomach, fertility and family, under the guidance of a true person, on the path of Dharma, on the path of yoga, on the path of spirituality, and finally, with the strength of their determination and tremendous effort, they achieve the goal of life. This is the peak journey of consciousness, which starts from Dharma and reaches Moksha. This is the top of life, the ultimate goal of life.
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वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...