स्वावलंबन तथा पुरुषार्थ
'स्वावलंबन' तथा 'पुरुषार्थ' ये दोनों ही विकास की प्राथमिक एवं आधारभूत शर्तें हैं। बच्चों को इन दोनों की शिक्षा देना, प्रत्येक अभिभावक का दायित्व है। एक प्रौढ़ व्यक्ति में जितनी बुद्धि होती है, उसका 50 फीसदी भाग चार वर्ष की आयु तक और उसके बाद का 30 प्रतिशत भाग आठ वर्ष की उम्र तक विकसित हो जाता है। बच्चा जीवन के प्रारंभिक पाँच वर्षों में जो कुछ बन जाता है; अधिकांशतः वैसा ही बना रहता है। एक स्वस्थ एवं स्वावलंबी समाज के निर्माण के लिए बच्चों को ऐसी शिक्षा दी जानी आवश्यक है, जो उनमें ये दोनों गुण निखारे।
Both 'self-reliance' and 'purusharth' are the primary and basic conditions of development. It is the responsibility of every parent to educate the children of these two. 50% of the intelligence of an adult person is developed by the age of four and then 30 percent by the age of eight. What a child becomes in the first five years of life; Mostly it remains the same. To build a healthy and self-reliant society, it is necessary to give such education to the children, which inculcates both these qualities in them.
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वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...