अनमोल वचन
वचन शक्ति का उपयोग हमें बड़ी सावधानी, विवेक से करना चाहिए। मनुष्य को प्रकृति ने वचन का वरदान दिया है। पशु के पास अस्पष्ट भाषा है। वह अपना सुख-दुःख बोलकर अभिव्यक्त नहीं कर सकता। किन्तु हमारे पास यह शक्ति है कि अपनी बात दूसरों को समझा सकते हैं। इस वाणी और वचन की शक्ति की तुलना मूल्यवान हीरे-मोतियों से भी नहीं की जा सकती। यह अनमोल है। एक बार बोला गया शब्द कमान से छूटे तीर की तरह पुनः लौटाया नहीं जा सकता। इसलिए हमें अपनी वचन शक्ति को सोच-समझकर प्रयोग करना चाहिए। ऐसे वचन बोलें जिससे किसी ठेस न लगे बल्कि दुःखते ह्रदय को भी उससे सांत्वना मिले। हमारे वचनों का प्रभाव दूसरों पर भी पड़ता है। हमारे कर्म बंधन में भी उनकी बहुत बड़ी भूमिका होती है।
We should use the power of speech with great care and discretion. Nature has given man the boon of speech. Animals have slurred speech. He cannot express his happiness and sorrow by speaking. But we have this power that we can explain our point to others. The power of this speech and word cannot be compared even with valuable diamonds and pearls. This is priceless. A word once spoken cannot be returned like an arrow released from a bow. That's why we should use our word power wisely. Speak such words that do not hurt anyone, but also give solace to the grieving heart. Our words have an impact on others as well. They also have a big role in our karmic bondage.
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वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...