ध्यान का उद्देश्य
विभिन्न पूजा-पद्धतियों व ध्यान की विधियों का एक ही उद्देश्य है - मन में उठ रही उन सभी लहरों को शांत कर लेना, समाप्त कर लेना अब तक जिन साधकों, तपस्वियों को योगियों को, ऋषियों को ईश्वर की अनुभूति हो सकी, परम आनंद की अनुभूति हो सकी, वह इसलिए हो सकी; क्योंकि वे मन के पार चले गए। वे मन की लहरों को पार कर सके। वे चित्त में उठने वाली लहरों को शांत कर सके, समाप्त कर सके।
The various worship practices and methods of meditation have the same objective - to pacify all those waves rising in the mind, to end, till now the seekers, ascetics, yogis, rishis have been able to realize God, the supreme bliss. The feeling could happen, it could happen because; Because they have gone beyond the mind. He could cross the waves of the mind. He could calm the waves rising in the mind, they could end it.
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वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...