विश्राम की आवश्यकता
जब बहुत अधिक बैठने से तन-मन ऊब रहा हो तो घर से बाहर निकले व टहलें। इससे भी विश्राम की आवश्यकता पूरी होती है। प्रकृति की गोद में ऐसा प्रयोग अधिक प्रभावशाली रहता है। करोनाकाल में जब जीवन की घर की चहारदीवारी में सिमट गया हो तो ऐसे में बाहर खुली हवा में, धुप में निकलना एक स्वास्थ्यवर्द्धक अनुभव रहता है। इन पलों में कोई ऐसा कार्य करें, जिसमें आप आनंद लेते हों। यह रसोईघर से लेकर बागवानी, गायन, कला आदि कुछ हो सकता है। अगर संभव हो तो आप किसी खेल को भी आजमा सकते हैं।
When you are getting bored due to sitting too much, then get out of the house and go for a walk. This also fulfills the need for rest. Such an experiment is more effective in the lap of nature. In the Karona period, when life has been confined to the boundary wall of the house, then it is a healthy experience to go out in the open air, in the sun. In these moments, do something that you enjoy. It can be anything from kitchen to gardening, singing, art etc. If possible, you can also try a sport.
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वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...