जो कर्मगति को जाने वही तो ज्ञाता है - कर्म काल के गर्भ में परिपक्व होता है। जब यह पकता है तो इसकी घटना किसी स्थान विशेष से संबंधित होती है। कर्म की उत्पत्ति के साथ ही इस सृष्टि में क्रियाशीलता पैदा हुई, सृजन एवं विनाश के नए-नए उपक्रम घटित हुए।
आर्यसमाज विवाह सहायता छत्तीसगढ़ द्वारा विवाह हेतु आवश्यक दस्तावेज एवं जानकारी आर्यसमाज में सम्पन्न होने वाले विवाह "आर्य विवाह मान्यता अधिनियम-1937, अधिनियम क्रमांक 1937 का 19' के अन्तर्गत कानूनी मान्यता प्राप्त हैं। अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा वैवाहिक जोड़ों की कानूनी सुरक्षा (Legal Sefety) एवं पुलिस संरक्षण (Police Protection) हेतु नियमित मार्गदर्शन (Legal Advice) दिया जाता है। "आर्यसमाज विवाह सहायता छत्तीसगढ़" अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट द्वारा संचालित है। भारतीय ट्रस्ट अधिनियम (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट एक सामाजिक-शैक्षणिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। "आर्यसमाज विवाह संस्कार केन्द्र" छत्तीसगढ़ में ट्रस्ट द्वारा संचालित केन्द्र केवल रायपुर और बिलासपुर में है। जो कि रायपुर में वण्डरलैण्ड वाटरपार्क के सामने, इन्द्रप्रस्थ कॉलोनी में है तथा बिलासपुर में अग्रसेन चौक, सुपर मार्केट में है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में ट्रस्ट का कोई मन्दिर या शाखा अथवा संस्कार केन्द्र नहीं है। आप यह सुनिश्चित कर लें कि आपका विवाह शासन (सरकार) द्वारा आर्यसमाज विवाह कराने हेतु मान्य रजिस्टर्ड संस्था में हो रहा है या नहीं। आर्यसमाज होने का दावा करने वाले किसी बडे भवन, हॉल या चमकदार ऑफिस को देखकर गुमराह और भ्रमित ना हों। विशेष सूचना- Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से इण्टरनेट पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह शासन द्वारा मान्य एवं लिखित अनुमति प्राप्त वैधानिक है अथवा नहीं। इसके लिए सम्बन्धित संस्था को शासन द्वारा प्रदत्त आर्य समाज विधि से अन्तरजातीय आदर्श विवाह करा सकने हेतु लिखित अनुमति अवश्य देख लें, ताकि आपके साथ किसी प्रकार की धोखाधड़ी ना हो। सावधान करने के बाद भी जाने-अनजाने में यदि आप गलत जगह फंसते हैं, तो अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की कोई जवाबदारी नहीं होगी। 1. वर-वधु दोनों को निर्धारित प्रारूप में ट्रस्ट द्वारा नियुक्त नोटरी द्वारा सत्यापित शपथ पत्र प्रस्तुत करना होगा। किसी अन्य नोटरी से सत्यापित शपथ पत्र स्वीकार नहीं किये जावेंगे। 2. वर-वधु का परस्पर गोत्र अलग-अलग होना चाहिए तथा हिन्दू विवाह अधिनियम के अनुसार कोई निषिद्ध रिश्तेदारी नहीं होनी चाहिए। 3. वर-वधु दोनों के जन्म प्रमाण हेतु हाई स्कूल की अंकसूची या कोई शासकीय दस्तावेज तथा पहचान हेतु मतदाता परिचय पत्र या आधार कार्ड अथवा पासपोर्ट या अन्य कोई शासकीय दस्तावेज चाहिए। विवाह हेतु वर की अवस्था 21 वर्ष से अधिक तथा वधु की अवस्था 18 वर्ष से अधिक होनी चाहिए। 4. वर-वधु दोनों की अलग-अलग पासपोर्ट साईज की 6-6 फोटो। 5. दोनों पक्षों से दो-दो मिलाकर कुल चार गवाह, परिचय-पहचान पत्र सहित। गवाहों की अवस्था 21 वर्ष से अधिक हो तथा वे हिन्दू-जैन-बौद्ध या सिक्ख होने चाहिएं। 6. विधवा/विधुर होने की स्थिति में पति/पत्नी का मृत्यु प्रमाण पत्र तथा तलाकशुदा होने की स्थिति में तलाकनामा (डिक्री) आवश्यक है। आर्यसमाज विवाह करने हेतु समस्त जानकारियां फोन द्वारा प्राप्त की जा सकती हैं। विवाह सम्बन्धी जानकारी या पूछताछ के लिए आप मो.- 8989738486 पर (समय - प्रातः 10 बजे से सायं 8 बजे तक) श्री देव शास्त्री से निसंकोच बात कर समस्त जानकारी प्राप्त कर सकते हैं तथा आपको जिस दिन विवाह करना हो उस मनचाहे दिन की बुकिंग आप फोन पर करा सकते हैं। फोन द्वारा बुकिंग करने के लिए वर-वधू का नाम पता और विवाह की निर्धारित तिथि बताना आवश्यक है। युगलों की सुरक्षा - प्रेमी युगलों की सुरक्षा एवं गोपनीयता की गम्भीरता को ध्यान में रखते हुए तथा माननीय उच्चतम न्यायालय द्वारा प्रेमी युगलों की सुरक्षा सम्बन्धी दिये गये दिशा-निर्देशों के अनुपालन के अनुक्रम में हमारे आर्य समाज द्वारा विवाह के पूर्व या पश्चात वर एवं वधू की गोपनीयता एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए विवाह से सम्बन्धित कोई भी काग़जात, सूचना या जानकारी वर अथवा वधू के घर या उनके माता-पिता को नहीं भेजी जाती है, जिससे विवाह करने वाले युगलों की पहचान को गोपनीय बनाये रखा जा सके, ताकि उनके जीवन की सुरक्षा को खतरा उत्पन्न न हो सके। अधिक जानकारी के लिये सम्पर्क करें - क्षेत्रीय कार्यालय (रायपुर) क्षेत्रीय कार्यालय (बिलासपुर) राष्ट्रीय प्रशासनिक मुख्यालय ------------------------------------------------------------------ Regional Office (Raipur) Regional Office (Bilaspur) National Administrative Office
(समय - प्रातः 10 बजे से सायं 8 बजे तक)
आर्य समाज संस्कार केन्द्र
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
रायपुर शाखा
वण्डरलैण्ड वाटरपार्क के सामने
DW-4, इन्द्रप्रस्थ कॉलोनी
होण्डा शोरूम के पास, रिंग रोड नं.1
रायपुर (छत्तीसगढ़)
हेल्पलाइन : 9109372521, 8120018052
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आर्य समाज संस्कार केन्द्र
अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
बिलासपुर शाखा
अग्रसेन चौक, सुपर मार्केट
बिलासपुर (छत्तीसगढ़) 495001
हेल्पलाइन : 8120018052, 8989738486
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अखिल भारत आर्य समाज ट्रस्ट
आर्य समाज मन्दिर, दिव्ययुग परिसर
बैंक कॉलोनी, अन्नपूर्णा रोड
इन्दौर (मध्य प्रदेश) 452009
फोन : 0731-2489383, 9302101186
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Arya Samaj Sanskar Kendra
Akhil Bharat Arya Samaj Trust
Raipur Branch
Opposite Wondland Water Park
DW-4, Indraprastha Colony
Ring Road No.-1
Raipur (Chhattisgarh) 492010
Helpline No.: 9109372521, 8120018052
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Arya Samaj Sanskar Kendra
Akhil Bharat Arya Samaj Trust
Bilaspur Branch
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Bilaspur (Chhattisgarh) 495001
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Akhil Bharat Arya Samaj Trust
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Narendra Tiwari Marg
Near Bank of India
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Annapurna Road
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The one who knows the movement of Karma is the knower - Karma matures in the womb of Kaal. When it ripens, its occurrence is related to a particular place. With the origin of karma, activity arose in this universe, new undertakings of creation and destruction took place.
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जिस विचार को हम लगातार याद करते हैं, स्वयं ही हमें उससे लगाव होने लगता है। यह लगाव धीरे-धीरे प्रगाढ़ प्रेम में परिवर्तित होने लगता है। उसी के प्रति हमारी श्रद्धा-आस्था पनपती है। यदि यही प्रक्रिया जारी रही तो इसकी सघनता इतनी अधिक होती है कि संसार की शेष सारी चीजें अपने आप ही व्यर्थ, निस्सार एवं बेईमानी प्रतीत होने लगाती हैं और सारे विचार और समस्त भावनाएँ उसमें एक रस हो जाती हैं। इसी भाव-दशा को तो ध्यान कहते हैं। साथ ही यही ध्यान में मन न लगाने के सवाल का समाधान है।
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The thought that we constantly remember, we automatically start falling in love with it. Gradually this attachment starts turning into deep love. Our faith in him grows. If this process continues, then its concentration is so high that everything else in the world automatically starts to appear as meaningless, wasteful and dishonest, and all thoughts and all feelings become one in it. This state of mind is called meditation. Also, this is the solution to the question of not concentrating on meditation.
वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...