हरीतिमा-अभिवर्द्धन
आवश्यक है कि वृक्षारोपण एवं हरीतिमा-अभिवर्द्धन के लाभ जनसाधारण को समझाए जाएँ और उस विभीषिका का परिचय कराया जाए, जिसके अनुसार वृक्ष-वनस्पतियों के घटने से पशु-पक्षियों एवं मनुष्यों में फँस जाना निश्चित है। स्वच्छ वायु का अभाव प्राणियों का दम घटेगा। भुमिरक्षण के कारण अच्छी-खासी जमीन रेगिस्तान में बदलती चली जाएगी और प्रकृति इस मूर्खता का दंड वर्षा में कमी करने के रूप में देगी। ऋतुओं का संतुलन बिगड़ेगा और वर्ष यही नहीं; सरदी, गरमी की मात्रा भी असंतुलित होकर मनुष्य का अहित करेगी।
It is necessary that the benefits of tree plantation and greenery-enhancement should be explained to the general public and the horror should be introduced, according to which it is certain to get trapped in animals, birds and humans due to the reduction of trees and vegetation. Lack of clean air will reduce the breath of the living beings. Due to Bhumirakshan, a considerable amount of land will go on turning into desert and nature will punish this foolishness in the form of reduction in rainfall. The balance of the seasons will be disturbed and not only the year; Winter, the amount of heat will also become unbalanced and will harm human beings.
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वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...