महामानव
जो महामानव होते हैं, जिनका मस्तिष्क परिपक्व होता है, जिनका मन उन्नत होता है, उनके विचार बहुत स्पष्ट, सुव्यवस्थित होते हैं। उनके हर विचार का दूसरे विचार से गहरा संबंध होता है। उनके अंदर ऐसी सामर्थ्य होती है, जिससे कि वे अपने विचार दूसरों तक पहुँचा देते हैं और दूसरों के विचार को भली भाँति समझ लेते हैं। विशेषज्ञ मानते हैं कि ज्यादा सोचना बहुत ज्यादा खाने के समान है। यदि ज्यादा न सोचा जाए, थोड़े ही विचारों पर गहराई से सोचा जाए, तो यह मनन करना है। यह एक तरह की जुगाली है, जो विचारों को पचाने और उन्हें आत्मसात् करने में हमारी मदद करती है।
Those who are great human beings, whose mind is mature, whose mind is advanced, their thoughts are very clear, well-organized. Each of his thoughts is closely related to the other. They have such power in them, that they convey their thoughts to others and understand the thoughts of others very well. Experts agree that overthinking is the same as eating too much. If not much thought is given, if few thoughts are thought deeply, then this is meditation. It is a kind of cud, which helps us to digest and assimilate thoughts.
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वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...