परिवार का परिवेश
किसी भी व्यक्ति पर उसके परिवार का परिवेश अनिवार्य रूप से प्रभावशाली होता है और परिवार का केंद्र होती है - स्त्री। लोभ-लालच से विवश होकर कोई व्यक्ति अनैतिक आचरण में प्रवृत भी होता है, किंतु परिवार का यदि उस पर दबाव पड़े तो उसे अनीति, अवांछनीयता से विमुख अवश्य किया जा सकता है। उदाहरण के लिए, पत्नी ही उससे असहयोग करने लगे, माँ उसका विरोध करने लगे तो सौ में से निन्यानवें अवसरों पर इस बात की संभावना रहती है कि अनैतिक आचरणों में प्रवृत हो रहा व्यक्ति अपने आचरण पर एक बार पुनः विचार करने के लिए विवश होता है।
The environment of his family is essentially influential on any person and the center of the family is the woman. Being compelled by greed and greed, a person also indulges in immoral conduct, but if he is under pressure from the family, then he can definitely be turned away from immorality, undesirable. For example, if the wife starts non-cooperation with him, the mother starts opposing him, then on ninety nine occasions out of a hundred there is a possibility that a person who is indulging in immoral practices is forced to reconsider his conduct once again.
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वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...