विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज विवाह संस्कार केन्द्र" छत्तीसगढ़ में ट्रस्ट द्वारा संचालित केन्द्र केवल रायपुर और बिलासपुर में है। जो कि रायपुर में वण्डरलैण्ड वाटरपार्क के सामने, इन्द्रप्रस्थ कॉलोनी में है तथा बिलासपुर में अग्रसेन चौक, सुपर मार्केट में है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या मन्दिर अथवा संस्कार केन्द्र नहीं है। Arya Samaj Sanskar Kendra Indraprastha Colony Raipur is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Sanskar Kendra Raipur and Bilaspur is the only controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Chhattisgarh. We do not have any other branch or Centre in Chhattisgarh. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। 

किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला अवश्य होता है। फिर उससे वायु और वृष्टिजल की शुद्धि होने से जगत का बड़ा उपकार और सुख अवश्य होता है। इस कारण से यज्ञ को करना चाहिए। पुनः इस शंका का निवारण करते हुए कि अतर और पुष्प आदि घरों में रखने से भी वायु और जल की शुद्धि की जा सकती है, महर्षि कहते हैं कि यह कार्य अन्य किसी प्रकार से सिद्ध नहीं हो सकता है, क्योंकि अतर और पुष्पादि का सुगन्ध तो उसी दुर्गन्ध युक्त वायु में मिलके रहता है, उस को छेदन करके बाहर नहीं निकाल सकता और न वह ऊपर चढ सकता है, क्योंकि उसमें हलकापन नहीं होता है। उसके उसी अवकाश में रहने से बाहर का शुद्ध वायु उस स्थान पर जा भी नहीं सकता। क्योंकि खाली जगह के बिना दूसरे का प्रवेश नहीं हो सकता है। फिर सुगन्ध और दुर्गन्ध वायु के वहीं रहने से रोगनाशादि फल भी नहीं होते हैं। महर्षि ने वेद मंत्रों का भाष्य करते समय कई स्थलों पर यज्ञ करने के लाभों का उल्लेख किया है।•

Maharishi Dayanand Saraswati, the reviver of the Vedas, says in the Rigveda Dibhasya Bhumika, under the chapter titled Veda Vishaya Vichar, that the molecules of the liquid containing fragrance etc. are thrown into the fire and remain separated in the sky. There is actually no shortage of any substance. Due to this, the liquid definitely cures the problems like bad smell etc. Then, the purification of air and rain water through it definitely brings great benefit and happiness to the world. For this reason Yagya should be performed.

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  • यज्ञ के अनन्त लाभ

    वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं।  किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...

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