नकारात्मकता त्यागें
अपनी प्रकृति को थोड़ा बदलकर हँसमुख बनाने का प्रयास करें, जिससे आपके साथी-सहयोगी बढ़ते रहेंगे। हर समय नकारात्मक सोच रखने से आपके पास कोई बैठना भी पसंद नहीं करेगा। अतः ईश्वरीय अमूल्य देन हँसी-खुशी को स्वयं अपनाएँ। राग, द्वेष को दूर भगाएँ। स्वस्थ वृद्ध जीवन जीना कौन नहीं चाहेगा ? परंतु उसके लिए उपाय तो पहले ही से ही करने पड़ेंगे। जो 50 वर्ष के हो चले हैं, उन्हें अभी तैयार करनी होगी, तब वृद्धावस्था में उन दैवी प्रवृत्तियों के सहारे बुढ़ापा सुखद बनाया जा सकेगा।
Try to change your nature a little and make it cheerful, so that your partner will continue to grow. No one will even like to sit near you because of having negative thoughts all the time. Therefore, adopt the invaluable gift of God, laughter and happiness yourself. Drive away anger and hatred. Who doesn't want to live a healthy old life? But for that, measures have to be taken in advance. Those who have attained the age of 50, they have to be prepared now, then in old age, with the help of those divine tendencies, old age can be made pleasant.
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वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...