विशेष सूचना - Arya Samaj, Arya Samaj Mandir तथा Arya Samaj Marriage और इससे मिलते-जुलते नामों से Internet पर अनेक फर्जी वेबसाईट एवं गुमराह करने वाले आकर्षक विज्ञापन प्रसारित हो रहे हैं। अत: जनहित में सूचना दी जाती है कि इनसे आर्यसमाज विधि से विवाह संस्कार व्यवस्था अथवा अन्य किसी भी प्रकार का व्यवहार करते समय यह पूरी तरह सुनिश्चित कर लें कि इनके द्वारा किया जा रहा कार्य पूरी तरह वैधानिक है अथवा नहीं। "आर्यसमाज विवाह संस्कार केन्द्र" छत्तीसगढ़ में ट्रस्ट द्वारा संचालित केन्द्र केवल रायपुर और बिलासपुर में है। जो कि रायपुर में वण्डरलैण्ड वाटरपार्क के सामने, इन्द्रप्रस्थ कॉलोनी में है तथा बिलासपुर में अग्रसेन चौक, सुपर मार्केट में है। भारतीय पब्लिक ट्रस्ट एक्ट (Indian Public Trust Act) के अन्तर्गत पंजीकृत अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट एक शैक्षणिक-सामाजिक-धार्मिक-पारमार्थिक ट्रस्ट है। इसके अलावा छत्तीसगढ़ में अखिल भारत आर्यसमाज ट्रस्ट की अन्य कोई शाखा या मन्दिर अथवा संस्कार केन्द्र नहीं है। Arya Samaj Sanskar Kendra Indraprastha Colony Raipur is run under aegis of Akhil Bharat Arya Samaj Trust. Akhil Bharat Arya Samaj Trust is an Eduactional, Social, Religious and Charitable Trust Registered under Indian Public Trust Act. Arya Samaj Sanskar Kendra Raipur and Bilaspur is the only controlled by Akhil Bharat Arya Samaj Trust in Chhattisgarh. We do not have any other branch or Centre in Chhattisgarh. Kindly ensure that you are solemnising your marriage with a registered organisation and do not get mislead by large Buildings or Hall.
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दिव्य-पवित्र वातावरण

गीता में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते हैं कि ''मैं वृक्षों में पीपल हूँ।' तुलसी का पौधा स्वयं विष्णुप्रिया के रूप में पूजनीय है। वटवृक्ष में भगवान शिव का वास बताया गया है। प्रकृति का पूजन, संरक्षण हमारे भौतिक जीवन के साथ-साथ आध्यात्मिक जीवन के लिए भी उतना ही आवश्यक है। हमारे अधिकांश तीर्थस्थल प्रकृति की सुरम्य वादियों में स्थित हैं; सिंधु-सरिताओं, सागरों के किनारे स्थित हैं। प्रकृति के इस दिव्य-पवित्र वातावरण में रहते हुए मनुष्य भी दिव्य व पवित्र होने लगता है। ऋषियों के आश्रम, आरण्यक आदि के विवरण प्रकृति के बीच उपस्थिति के रूप में मिलते हैं, जिससे कि वे वहाँ के निश्छल व सौम्य वातावरण में जप, तप, ध्यान आदि के द्वारा आध्यात्मिक प्रगति के शीर्ष को छू पाया करते थे एवं अपने जीवन के परम लक्ष्य को प्राप्त किया करते थे।

In the Gita, Lord Krishna himself says that "I am the Peepal in the trees." The Tulsi plant itself is revered as Vishnupriya. Lord Shiva's abode is said to be in the banyan tree. Worship, protection of nature is equally necessary for our material life as well as spiritual life. Most of our pilgrimage centers are located in picturesque prairies of nature; The Indus-streams are situated on the banks of the oceans. Living in this divinely-holy environment of nature, man also starts becoming divine and pure. The descriptions of the ashrams, Aranyakas etc. of the sages are found in the form of presence in the midst of nature, so that they could touch the peak of spiritual progress through chanting, austerity, meditation etc. used to achieve the target.

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  • यज्ञ के अनन्त लाभ

    वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं।  किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...

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