परमात्मा
यदि संसार दुःखरूप है और उसको बनाने वाला परमेश्वर है, जिसे हम दयालु कहते हैं, तो फिर वह दयालु वह कैसा है जिसने दुःखमय संसार की सृष्टि की ? फिर तो प्लैटी का कथन ठीक ही है कि विषमताओं और दुःखों से भरे संसार का बनाने वाला ईश्वर दयालु कदापि नहीं हो सकता। पर ऐसी बात है नहीं। ईश्वर केवल दयालु ही नहीं, न्यायकारी भी है और अपनी न्याय व्यवस्था से जीवों को सुख-दुःख देता रहता है। पर वह निरा न्यायकारी ही नहीं दयालु भी है। न्याय जीवों के कर्मों की अपेक्षा से होता है, स्वतः नहीं। किन्तु दया के लिए यह शर्त नहीं। यदि उसमें भी जीवों के कर्मों की अपेक्षा हुई तो फिर तो वह दया नहीं न्याय कहलायेगा।
दया तो दयालु अपनी और से करता है। इसीलिए तो परम दयालु परमात्मा पापी को भी सूर्य के प्रकाश, वायु और जल आदि से कभी वंचित नहीं करता। यह सब वस्तुएँ हमें बेहिसाब मिल रही है, कर्मों के हिसाब से नहीं। वह दयालु अपनी दया दृष्टि से प्राणिमात्र का सदैव दुःख हरता रहता है।
Arya Samaj Chhattisgarh 9109372521 | Arya Samaj Inter Caste Marriage Chhattisgarh | Arya Samaj Marriage Chhattisgarh | Arya Samaj Vivah Mandap Chhattisgarh | Inter Caste Marriage Helpline Chhattisgarh | Marriage Service in Arya Samaj Mandir Chhattisgarh | Arya Samaj Intercaste Marriage Chhattisgarh | Arya Samaj Marriage Pandits Chhattisgarh | Arya Samaj Vivah Pooja Chhattisgarh | Arya Samaj Vivah Chhattisgarh | Inter Caste Marriage Chhattisgarh | Marriage Service by Arya Samaj Mandir Chhattisgarh | Arya Samaj Marriage Helpline Chhattisgarh | Arya Samaj Vivah Lagan Chhattisgarh | Inter Caste Marriage Consultant Chhattisgarh | Marriage Service in Arya Samaj Chhattisgarh | Marriage Service by Arya Samaj Chhattisgarh | Arya Samaj Hindu Temple Chhattisgarh | Arya Samaj Marriage Guidelines Chhattisgarh
वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...