जीवनक्रम
जीवन निर्माण के लिए, अध्यात्म-आदर्शों के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए व्रतशील होना पड़ता है। व्रतशीलता से ही संकल्प शक्ति बढ़ती एवं महान प्रयोजनों की पूर्ति होती है। आमतौर से तो मनुष्य पर चंचलता, अस्थिरता ही छाई रहती है। किसी निश्चय पर देर तक स्थिर रहना नहीं बन पाता। विचार और कार्य जल्दी-जल्दी बदलते रहने के कारण जीवनक्रम सदा अस्त-व्यस्त बना रहता है, परिणामस्वरूप किसी भी दिशा में अभीष्ट सफलता नहीं मिल पाती। विशेषतया आदर्शवादी निश्चयों के लिए सकल्पवान होना तो और भी कठिन है। पानी का नीचे की ओर बहना स्वाभाविक है। उसे ऊपर उठाने के लिए विशेष उपाय अपनाने और विशेष प्रयत्न करने की आवश्यकता पड़ती है।
To build life, to move forward on the path of spiritual ideals, one has to be fasting. Determination power increases and great purposes are fulfilled only by fasting. Generally, fickleness, instability prevails over human beings. It is not possible to remain stable on any decision for a long time. Due to the frequent change of thoughts and actions, the life cycle always remains busy, as a result, desired success is not achieved in any direction. It is even more difficult to be determined, especially for idealistic decisions. It is natural for water to flow downwards. There is a need to adopt special measures and make special efforts to raise it.
Biography | Arya Samaj Chhattisgarh 9109372521 | Inter Caste Marriage Promotion for Prevent of Untouchability Chhattisgarh | Pandits for Marriage Chhattisgarh | Arya Samaj Legal Wedding Chhattisgarh | Legal Marriage Help Chhattisgarh | Procedure of Arya Samaj Marriage Chhattisgarh | Arya Samaj Mandir Helpline Chhattisgarh | Arya Samaj Wedding Rituals Chhattisgarh | Legal Marriage Helpline Chhattisgarh | Arya Samaj Legal Marriage Service Chhattisgarh | Arya Samaj Marriage Registration Chhattisgarh | Arya Samaj Vivah Vidhi Chhattisgarh | Arya Samaj Marriage Rituals Chhattisgarh | Arya Samaj Wedding Chhattisgarh | Legal Marriage Chhattisgarh | Pandits for PoojaArya Samaj Mandir Chhattisgarh | Arya Samaj Wedding Ceremony Chhattisgarh | Arya Samaj Marriage Rules Chhattisgarh
वेदों के पुनरुद्धारक महर्षि दयानन्द सरस्वती ऋग्वेदादिभाष्यभूमिका में वेद विषय विचार नामक अध्याय के अन्तर्गत कहते हैं कि सुगन्ध आदि से युक्त जो द्रव्य अग्नि में डाला जाता है, उसके अणु अलग-अलग होके आकाश में रहते हैं। किसी द्रव्य का वस्तुतः अभाव नहीं होता। इससे वह द्रव्य दुर्गन्धादि दोषों का निवारण करने वाला...